बदला लेने में क्या मजा है
मजा तो तब है जब तुम सामने वाले को बदल डालो..||
इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,
और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले…
: ‘कर्मो’ से ही पहेचान होती है इंसानो की…
महेंगे ‘कपडे’ तो,’पुतले’ भी पहनते है दुकानों में !!!
बदला लेने में क्या मजा है
मजा तो तब है जब तुम सामने वाले को बदल डालो..||
इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,
और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले…
: ‘कर्मो’ से ही पहेचान होती है इंसानो की…
महेंगे ‘कपडे’ तो,’पुतले’ भी पहनते है दुकानों में !!!