हे पार्थ,
|| तुम पिछले इन्क्रीमेंट का पश्चाताप मत करो ||
|| तुम अगले प्रमोशन की चिंता भी मत करो ||
|| बस अपनी करंट पोस्टिंग से ही प्रसन्न रहो ||
|| तुम जब नहीं थे, तब भी ये ऑफिस चल रहा था ||
|| तुम जब नहीं होगे, तब भी ये ऑफिस चलता रहेगा ||
|| जो टेबल और लैपटॉप आज तुम्हारा है, कल किसी और का था ||
|| वो कल किसी और का होगा ||
|| तुम इसे अपना समझ कर मगन हो रहे हो ||
|| यही तुम्हारे समस्त दुखों का कारण है ||
|| प्रमोशन, इन्क्रीमेंट जैसे शब्द अपने मन से निकाल दो ||
|| फिर तुम इस ऑफिस के और ये ऑफिस तुम्हारा होगा ||