Corporate Bhagavad Gita

हे पार्थ,

|| तुम पिछले इन्क्रीमेंट का पश्चाताप मत करो ||

|| तुम अगले प्रमोशन की चिंता भी मत करो ||

|| बस अपनी करंट पोस्टिंग से ही प्रसन्न रहो ||

|| तुम जब नहीं थे, तब भी ये ऑफिस चल रहा था ||

|| तुम जब नहीं होगे, तब भी ये ऑफिस चलता रहेगा ||

|| जो टेबल और लैपटॉप आज तुम्हारा है, कल किसी और का था ||

|| वो कल किसी और का होगा ||

|| तुम इसे अपना समझ कर मगन हो रहे हो ||

|| यही तुम्हारे समस्त दुखों का कारण है ||

|| प्रमोशन, इन्क्रीमेंट जैसे शब्द अपने मन से निकाल दो ||

|| फिर तुम इस ऑफिस के और ये ऑफिस तुम्हारा होगा ||

Leave a Comment